रविवार, 13 मई 2007

पहला पत्र


हिन्दी चिट्ठाजगत में मेरा पहला प्रयास है. सौंदर्य के सभी प्रेमियों को यह प्रयास पसंद आएगा. आपका सहयोग अपेक्षित है.


10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब! बधाई!

Sagar Chand Nahar ने कहा…

लग तो सुन्दर ही रिया है, देखते हैं, आगे आगे कौन कौनसी सी सुन्दरियों के दर्शन करवाते हो।

बधाई हो भाई।

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब.. ये ही कमी थी. अब सुंदरता के पुजारी आ गए. बाज़ार खड़ा हो गया. लगे रहो पुजारी जी. हम भी स्तुतिगान में घंटा बजाने आएंगे. मंदिर में अखंड पाठ जारी रखें. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.

Udan Tashtari ने कहा…

स्वागत है!!

संजय बेंगाणी ने कहा…

स्वागत है, आप पूजा पाठ करते रहे. हम भी देवी दर्शन उपरांत चढ़ावे के रूप में टिप्पणी देते रहेंगे.

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अच्छा प्रयास है।बधाई।

ePandit ने कहा…

सही है जी थोड़ा एंटरटेनमैंट भी होना चाहिए क्या रात दिन या तो गंभीर किस्म का चिंतन या फिर वैचारिक झगड़े।

मंदिर अच्छा सजाया है, ऐश देवी भी विराजमान की हैं। उम्मीद है आगे भी विभिन्न देवियों के दर्शन कराते रहोगे।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

सही है, एक इहै की कमी थी इहां।
स्वागत व शुभकामनाएं

पंकज बेंगाणी ने कहा…

अरे पुरा सहयोग मिलेगा रे..


हन्डरेड परसेंट मिलेगा रे पुजारी तु युँ ही उपासना किया कर .. किया कर... किया जा...

बेनामी ने कहा…

what a wonderful work lage raho pujiari ji Prakash Rathore